Paush Amavasya 2024: पौष अमावस्या पर पितरों के लिए दीपक कब जलाएं? क्यों करते हैं ऐसा? जान लेंगे कारण तो नहीं करेंगे गलती

Paush Amavasya 2024: पौष अमावस्या पर पितरों के लिए दीपक कब जलाएं? क्यों करते हैं ऐसा? जान लेंगे कारण तो नहीं करेंगे गलती


हाइलाइट्स

पौष अमावस्या पर अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए.
पितर अमावस्या के दिन धरती पर आते हैं और शाम को वापस पितर लोक लौटते हैं.

पौष अमावस्या का पर्व 11 जनवरी को है. पौष अमावस्या के अवसर पर आपको अपने पितरों का स्मरण करना चाहिए और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना चाहिए. पितरों को नाराज करने से बचना चाहिए. यदि पितर नाराज हो जाएंगे तो आपको कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. पितरों को खुश करने के लिए पौष अमावस्या के दिन स्नान करें और उनके लिए तर्पण, दान आदि करें. आपने देखा होगा कि अमावस्या के दिन पितरों के लिए दीपक जलाते हैं. ऐसा क्यों​ किया जाता है और इसका महत्व क्या है? पौष अमावस्या पर पितरों के लिए दीपक कब जलाना चाहिए? तिरुपति के ज्योतिषाचार्य डॉ. कृष्ण कुमार भार्गव से इन सबके बारे में विस्तार से जानते हैं.

पौष अमावस्या 2024: पितरों के लिए दीपक क्यों जलाते हैं?

ज्योतिषाचार्य भार्गव का कहना है कि शास्त्रों में यह वर्णन मिलता है कि हमारे पितर अमवास्या के दिन धरती लोक पर आते हैं और अपने वंश से दान, तर्पण, भोजन का अंश, पिंडदान, श्राद्ध आदि की उम्मीद रखते हैं. अमावस्या पर पूरे दिन वे धरती पर होते हैं और शाम के समय में वापस पितर लोक लौटते हैं. उनकी वापसी के समय हम सरसों के तेल का एक दीपक जलाकर रखते हैं. यह दीपक उनके लिए ही होता है, ताकि उनके मार्ग में अंधकार न हो. वे तृप्त होकर वापस अपने लोक जाएं.

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पौष अमावस्या 2024: पितरों के लिए दीपक जलाने का समय

मान्यताओं के अनुसार सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल प्रारंभ होता है. प्रदोष काल में पीपल के पेड़ के नीचे आप सरसों के तेल का दीपक जलाएं. पौष अमावस्या के दिन 11 जनवरी को सूर्यास्त शाम 05:43 बजे होगा. इस समय से आप अपने पितरों के लिए अमावस का दीपक जला सकते हैं. अमावस्या को पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं, इसमें देवों का वास होता है और पितर प्रसन्न होते हैं.

अब आप जान गए हैं कि अमावस्या के दिन पितरों के लिए दीपक कब और क्यों जलाना है. इसका महत्व क्या है. पितरों को पौष अमावस्या पर तर्पण, पिंडदान, दान आदि से तृप्त करने के बाद खुशी-खुशी विदा करें. पितरों के आशीर्वाद से आपका जीवन खुशियों से भर जाएगा.

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Tags: Dharma Aastha, Religion



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