इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को नहीं मनाई जाएगी! ज्योतिषाचार्य ने बताया कारण, जानें मुहूर्त

इस बार मकर संक्रांति 14 जनवरी को नहीं मनाई जाएगी! ज्योतिषाचार्य ने बताया कारण, जानें मुहूर्त


विनय अग्रिहोत्री/भोपाल. भारत को त्यौहारों का देश कहा जाता है. इस प्रकार, हर दूसरे त्योहार की तरह, मकर संक्रांति को बहुत सारी सजावट के साथ मनाया जाता है. लोग नए कपड़े पहनते हैं और घर के बने व्यंजनों का स्वाद लेते हैं जो आमतौर पर गुड़ और तिल से बने होते हैं. भारत के कुछ हिस्सों में खिचड़ी भी खाई जाती है.

लोकल 18 से बात करते हुए आचार्य पंडित अनिकेत मिश्रा ने कहा कि,हर साल मूल रूप से मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है. इस बार सूर्य 14 जनवरी की रात मकर राशि में प्रवेश करेगें, इसलिए इस बार 15 जनवरी को मकर संक्रांति मनाई जाएगी. ज्योतिषशास्त्र के अनुसार मकर संक्रांति पर सूर्य धनु राशि की यात्रा को विराम देते हुए मकर राशि में प्रवेश करते हैं. एक वर्ष में कुल 12 संक्रान्तियां होती हैं. जिसमें चार संक्रांति मेष, कर्क, तुला और मकर संक्रांति बहुत महत्वपूर्ण मानी गई हैं, पौष मास में जब सूर्य धनु राशि से निकल मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो मकर संक्रान्ति के रूप में जाना जाता है. सूर्य के मकर रेखा से उत्तरी कर्क रेखा की ओर जाने को उत्तरायण और कर्क रेखा से दक्षिणी मकर रेखा की ओर जाने को दक्षिणायण कहते हैं.

मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त
पंडित जी ने आगे कहा कि 15 जनवरी को पुण्य काल सुबह 7 बजकर 15 मिनट से लेकर शाम 5 बजकर 44 मिनट तक रहेगा.  वहीं महा पुण्य काल सुबह 07:15 से सुबह 09:00 तक है. इस विशेष दिन पर मकर संक्रांति का क्षण दोपहर 02:55 पर रहेगा. रवि योग सुबह 07:15 से सुबह 08:07 तक है.

मकर संक्रांति के दिन दान का विशेष महत्व
मकर राशि में सूर्य के प्रवेश करने पर यह त्योहार मनाया जाता है, इसीलिए इसे मकर संक्रांति कहा जाता है. इस साल मकर संक्रांति का यह त्योहार 15 जनवरी को ही मनाया जाएगा. आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद सूर्य देवता को अर्ग्घ दें उसके बाद सूर्य देवता की पूजा करें आप आदित्यहृदयस्तोत्र का पाठ भी कर सकते हैं.इस दिन दान पुण्य का भी विशेष महत्व बताया गया है. मकर संक्रांति के दिन गो सेवा, तिल, गुड, कंबल, काले-ऊनी वस्त्रों के साथ ही धार्मिक पुस्तकों के दान का विशेष महत्व है.

धार्मिक मान्यता की वजह से भी उड़ाते हैं पतंग

मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने के पीछे धार्मिक वजहें भी हैं. धार्मिक कथाओं के अनुसार मकर संक्रांति पर पतंग उड़ाने की परंपरा की शुरुआत भगवान राम ने थी. धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब भगवान राम ने पहली बार इस त्यौहार में पतंग उड़ाई थी तो वह पतंग इंद्रलोक में चली गई थी. वहीं से भगवान राम की इस परंपरा को लोग आज भी श्रद्धा के साथ मनाते हैं.

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