इन कारणों से मकर संक्रांति का पर्व बन जाता है और भी विशेष, जानिए क्यों है खास

इन कारणों से मकर संक्रांति का पर्व बन जाता है और भी विशेष, जानिए क्यों है खास

भरत तिवारी/जबलपुर. पूरे भारत देश में मकर संक्रांति का त्योहार बहुत ही धूमधाम और हर्ष उल्लास के साथ मनाया जाता है. इस दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इस दिन लोग मकर संक्रांति का त्यौहार मनाते हैं. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश मकर संक्रान्ति के रुप में जाना जाता है, उत्तर भारत में यह पर्व ‘मकर सक्रान्ति के नाम से और गुजरात में ‘उत्तरायण’ नाम से जाना जाता है. मकर संक्रान्ति को पंजाब में लोहडी पर्व, उतराखंड में उतरायणी, गुजरात में उत्तरायण, केरल में पोंगल, गढवाल में खिचडी संक्रान्ति के नाम से मनाया जाता है.

मकर संक्रान्ति के शुभ समय पर हरिद्वार, काशी आदि तीर्थों पर स्नानादि का विशेष महत्व माना गया है, इस दिन सूर्य देव की पूजा-उपासना भी की जाती है. शास्त्रीय सिद्धांतानुसार सूर्य पूजा करते समय श्वेतार्क तथा रक्त रंग के पुष्पों का विशेष महत्व है. इस दिन सूर्य की पूजा करने के साथ साथ सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए.

इसलिए भी है यह त्यौहार खास
पंडित ज्ञानेंद्र शास्त्री ने कहा कि  भगवान सूर्य  एक मात्र ऐसे देवता है जिनके रोजाना सभी लोगों को प्रत्यक्ष दर्शन होते हैं. सूर्य भगवान 12 महीने 12 अलग-अलग राशियों में प्रवेश करते हैं. यानी एक राशि में 30 दिन सूर्य भगवान रहते हैं. इन्हीं 12 राशियों में 6 राशियां दक्षिणायन कहलाती है और बाकी की 6 राशियां उत्तरायण, जिस दिन भगवान सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं. उस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं. इसी दिन से सनातन धर्म के सभी शुभ कार्य शुरू होते हैं. उत्तरायण के 6 महीने सभी कार्यों के लिए होते हैं.
रामायण में लिखी हुई एक चौपाई के अनुसार माघ के महीने में जब सूर्य देवता मकर राशि में प्रवेश करते हैं. इस समय समस्त तीर्थ मां गंगा में स्नान करने आते हैं, इसलिए भी मकर संक्रांति का महत्व और भी बढ़ जाता है. मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का भी बड़ा महत्व माना जाता है. इस दिन विशेष तौर पर श्रद्धालु गंगा स्नान के लिए जाते हैं, मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व माना जाता है.

इसलिए उड़ाते हैं मकर संक्रांति के दिन पतंग
भारत वर्ष में मकर संक्रांति के दिन कई वर्षो से पतंग उड़ाने की प्रथा चली आ रही है. इस दिन पूरे देश में लोग भिन्न-भिन्न प्रकार की पतंगे उड़ाकर इस पर्व को मानते हैं, साथ ही इस दिन तिल के लड्डू का भी काफी महत्व माना जाता है. पंडित ज्ञानेंद्र शास्त्री ने कहा कि मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाने को लेकर शास्त्रों में कोई उल्लेख नहीं है. यह पूर्वजों द्वारा बनाई गई एक प्रथा है जो सदियों से भारतवर्ष में चली आ रही है. जिसमें खुशी और हर्ष उल्लास का प्रतीक देते हुए लोग मकर संक्रांति के दिन पतंग उड़ाते हैं और धूमधाम से इस पर्व को मानते हैं.

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